Speeches

श्री अजय विश्नोई जी के वक्तृत्व को यहाँ पढ़ें..

  • रामायण, एक ग्रंथ मात्र ना होकर, जीवमात्र के जीवन के हर पहलू में विधमान सार है।
  • अच्छा काम करते रहो कोई सम्मान करे या न करे, सूर्य उदय तभी होता है जब करोडो लोग सोये होते है।
  • महाभारत, हम सब में है बस उसे पहचानने की देरी है।
  • सबको साथ लेकर चलना है, बढ़ना है और बढ़ते ही रहना है।
  • कठोर परिश्रम कभी भी विफल नहीं होता है।
  • गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
  • अगर आप समय पर अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते है तो आप एक और गलती कर बैठते है, आप अपनी गलतियों से तभी सीख सकते है जब आप अपनी गलतियों को स्वीकार करते है।
  • ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं, वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है।
  • जब कुछ अच्छा करो तो अच्छा महसूस करो। किन्तु जब कुछ बुरा करो तो बुरा जरुर महसूस करो। यही सच्चा धर्म है।
  • एक खुशहाल परिवार कुछ नहीं बस स्वर्ग से पहले का स्वर्ग है।
  • मैदान में हारा हुआ इंसान एक बार फिर जीत सकता है, लेकिन मन से हारा हुआ नहीं। तो अपना मनोबल हमेशा बनाये रखें।
  • जब हम अपनी क्षमताओं को जान लेते हैं और उनमे यकीन कर आगे बढ़ते हैं तब ही हम बेहतर जीवन का निर्माण कर पाते हैं।
  • जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आपने दूसरों के लिए क्या किया? क्योंकि जीवन का सही अर्थ यही है।
  • सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है। जितने प्रयोग करोगे, जीवनउतना ही अच्छा होगा।
  • कर्मशील लोग शायद ही कभी उदास रहते हों। कर्मशीलता और उदासी दोनों साथ-साथ कभी नहीं रहती हैं।
  • जीवन एक दर्पण की तरह है, आप इस पर क्रोधित हुए, तो यह आप पर क्रोधित होगा और अगर आप जीवन में मुस्कुरायेंगे तो यह भी साथ मुस्कुराएगा।